Great thoughts
दो तरह से चीज़ें देखने में छोटी नज़र आती हैं ....एक दूर से और एक गरूर से .....!
Tuesday, June 5, 2018
Sales - Open the door for insane SUCCESS I HINDI I English Sub Titles
I’m a crazy, independent, actor-director-producer of My own little world. With so much to do, I’m running out of time.
Yogesh is what my parents named, and Harry is my moniker.
परिंदों के खुले हुए पर बोलते हैं
की मंज़िल इनको यक़ीनन मिलेगी
बंद पर वालों को क्या मंज़िल खाक मिलेगी !
Monday, August 15, 2016
नए हिंदी ब्लॉग पर आपका स्वागत है...
प्रिय मित्रों,
सबसे पहले तो मेरे इस ब्लॉग को पढ़ने के लिए , आपका तहे दिल से शुक्रिया ! काफी समय से मैं सोच रहा था की एक 'हिंदी ब्लॉग' की शुरुआत की जाय !
जैसा हमेशा होता आया है, 'सोचा' की अच्छा समय आने पर शुरू करूँगा !
यकीं मानिये दोस्तों, वो अच्छा समय बहोत कोशिशों के बाद भी नहीं आ रहा था !
फिर मैंने इस काम को प्राथमिकता दी, जिसकी वजह से हिंदी ब्लॉग को आपके सामने ला पाया हूँ !
मुझे यक़ीन है आपका का सफर, मेरे शब्दों और कहानियों के साथ काफ़ी आनन्दमयी रहेगा !
इन कहानियों का उपयोग आप खुल कर करें और कोई सुझाव देना चाहें , तो आपका आमंत्रण है !
हिंदी ब्लॉग पढ़ने के लिए कृपया ये लिंक क्लिक करें !
शब्दों में दुनिया है , और दुनिया में शब्द हैं ,
इन्ही शब्दों से आप किसी को रुला सकते हैं , हँसा सकते हैं, तड़पा सकते हैं और धोका दे सकते हैं,
इन्ही शब्दों से मुग़ल साम्राज्य का पतन हो गया,
इन्ही शब्दों से मोदी जी प्रधान मंत्री हो गए,
ओबामा राष्ट्रपति और केजरीवाल जी मुख्यमंत्री हो गए,
शब्दों की महिमा को समझिये
यही शब्द छन में अस्त्र, और छन में शस्त्र बन जाते हैं,
और अश्त्र और शस्त्र तो कोई योद्धा ही चला सकता है,
शब्द कब अश्त्र और कब शस्त्र बनेंगे , इसके लिए छोटे छोटे अलंकार बनाये गए हैं,
जैसे कॉमा (,), फुल स्टॉप (.), इनवर्टेड कमास (" "), स्लैश (/), सेमि कॉलम (;), डबल डॉट (:), डैश (-), क्वेश्चन मार्क (?), एक्सक्लेमेशन (!) सिंगल कोटे (' ')
यही अलंकार हैं जो शब्दों के आगे या पीछे लग जाएँ तो,
अर्थ का अनर्थ कर देते हैं और अनर्थ को अर्थ का रूप दे देते हैं,
इनसे प्रेम करें, भावनात्मक तौर पे जुड़ें और अभ्यास करें , यकीं मानिये, ये दुनिया बदलने की छमता रखते हैं!
बौद्धिक विकास के लिए आप व्हाट्सएप्प द्वारा संपर्क कर सकते हैं !
+९१ ९५७४८ ३१४८७
+91 9574831487
सबसे पहले तो मेरे इस ब्लॉग को पढ़ने के लिए , आपका तहे दिल से शुक्रिया ! काफी समय से मैं सोच रहा था की एक 'हिंदी ब्लॉग' की शुरुआत की जाय !
जैसा हमेशा होता आया है, 'सोचा' की अच्छा समय आने पर शुरू करूँगा !
यकीं मानिये दोस्तों, वो अच्छा समय बहोत कोशिशों के बाद भी नहीं आ रहा था !
फिर मैंने इस काम को प्राथमिकता दी, जिसकी वजह से हिंदी ब्लॉग को आपके सामने ला पाया हूँ !
मुझे यक़ीन है आपका का सफर, मेरे शब्दों और कहानियों के साथ काफ़ी आनन्दमयी रहेगा !
इन कहानियों का उपयोग आप खुल कर करें और कोई सुझाव देना चाहें , तो आपका आमंत्रण है !
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शब्दों में दुनिया है , और दुनिया में शब्द हैं ,
इन्ही शब्दों से आप किसी को रुला सकते हैं , हँसा सकते हैं, तड़पा सकते हैं और धोका दे सकते हैं,
इन्ही शब्दों से मुग़ल साम्राज्य का पतन हो गया,
इन्ही शब्दों से मोदी जी प्रधान मंत्री हो गए,
ओबामा राष्ट्रपति और केजरीवाल जी मुख्यमंत्री हो गए,
शब्दों की महिमा को समझिये
यही शब्द छन में अस्त्र, और छन में शस्त्र बन जाते हैं,
और अश्त्र और शस्त्र तो कोई योद्धा ही चला सकता है,
शब्द कब अश्त्र और कब शस्त्र बनेंगे , इसके लिए छोटे छोटे अलंकार बनाये गए हैं,
जैसे कॉमा (,), फुल स्टॉप (.), इनवर्टेड कमास (" "), स्लैश (/), सेमि कॉलम (;), डबल डॉट (:), डैश (-), क्वेश्चन मार्क (?), एक्सक्लेमेशन (!) सिंगल कोटे (' ')
यही अलंकार हैं जो शब्दों के आगे या पीछे लग जाएँ तो,
अर्थ का अनर्थ कर देते हैं और अनर्थ को अर्थ का रूप दे देते हैं,
इनसे प्रेम करें, भावनात्मक तौर पे जुड़ें और अभ्यास करें , यकीं मानिये, ये दुनिया बदलने की छमता रखते हैं!
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I’m a crazy, independent, actor-director-producer of My own little world. With so much to do, I’m running out of time.
Yogesh is what my parents named, and Harry is my moniker.
परिंदों के खुले हुए पर बोलते हैं
की मंज़िल इनको यक़ीनन मिलेगी
बंद पर वालों को क्या मंज़िल खाक मिलेगी !
Sunday, September 21, 2014
Edutainment with computers is good
Computers offer our children the next step in accelerated learning. You are aware that children hear, see and touch they remember better, for longer. The interactive, visual and universal capabilities that the computers offer children today reinvigorate the concept of learning as an exciting one.
Edutainment-based computer games are, of course, very different from computer games, the latter being purely for leisure. Having said that, some computer games do offer more cerebral opportunities for children than others. So, if you are looking to buy a computer game for your child, look for the ones that offer some sort of problem solving / strategy for children. These games can be beneficial in developing children’s logic and reasoning. In other words, in those computer games that aren’t just about shooting down objects and where the aims are more about thinking through the problems, there can be benefits for the brain. Where a child is being asked, for example, to design and build a whole city to support an imaginary nation, or set up an emergency contingency to sort out disaster area or make a place safe for people to live in, then there is lots of thinking involved. These sorts of games may be pleasurable but they are also helping children learn about something. Games like these fall into what I call the ‘slearner’ market, and they offer a very good cerebral workout.
Next Blog on Balancing the brain diet.
Thanks for reading.
Stay tuned…
I’m a crazy, independent, actor-director-producer of My own little world. With so much to do, I’m running out of time.
Yogesh is what my parents named, and Harry is my moniker.
परिंदों के खुले हुए पर बोलते हैं
की मंज़िल इनको यक़ीनन मिलेगी
बंद पर वालों को क्या मंज़िल खाक मिलेगी !
Friday, September 5, 2014
३० दिनों में जिंदगी बदलो Part 1 / Hindi Motivational Video
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Yogesh is what my parents named, and Harry is my moniker.
परिंदों के खुले हुए पर बोलते हैं
की मंज़िल इनको यक़ीनन मिलेगी
बंद पर वालों को क्या मंज़िल खाक मिलेगी !
Wednesday, September 3, 2014
३० दिनों में जिंदगी बदलो ….Hindi motivational video / हिंदी में
I’m a crazy, independent, actor-director-producer of My own little world. With so much to do, I’m running out of time.
Yogesh is what my parents named, and Harry is my moniker.
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की मंज़िल इनको यक़ीनन मिलेगी
बंद पर वालों को क्या मंज़िल खाक मिलेगी !
Sunday, August 24, 2014
Child is born as blank CD
Child is born as blank CD. We need to understand that, don't load it with 'Poor Software'. Get the child's software upgraded, if you cannot, than take the help of the experts. 'Highend & latest software' vl put the child miles ahead in joyful living.
I’m a crazy, independent, actor-director-producer of My own little world. With so much to do, I’m running out of time.
Yogesh is what my parents named, and Harry is my moniker.
परिंदों के खुले हुए पर बोलते हैं
की मंज़िल इनको यक़ीनन मिलेगी
बंद पर वालों को क्या मंज़िल खाक मिलेगी !
दो बच्चों की Inspirational story Hindi motivational video / हिंदी में
I’m a crazy, independent, actor-director-producer of My own little world. With so much to do, I’m running out of time.
Yogesh is what my parents named, and Harry is my moniker.
परिंदों के खुले हुए पर बोलते हैं
की मंज़िल इनको यक़ीनन मिलेगी
बंद पर वालों को क्या मंज़िल खाक मिलेगी !
आप अद्वितीय हैं Hindi motivational video / हिंदी में - Interactive game
I’m a crazy, independent, actor-director-producer of My own little world. With so much to do, I’m running out of time.
Yogesh is what my parents named, and Harry is my moniker.
परिंदों के खुले हुए पर बोलते हैं
की मंज़िल इनको यक़ीनन मिलेगी
बंद पर वालों को क्या मंज़िल खाक मिलेगी !
Monday, August 18, 2014
सबसे सुस्त प्राणी - इंसान है ! 9 महीने लग जाते हैं चलने में.....
सबसे सुस्त प्राणी - इंसान है ! 9 महीने लग जाते हैं चलने में.....
सो सुस्त रहना नैसर्गिक, प्राकृतिक और स्वाभाविक है.....
अगर स्वाभाविक और प्राकृतिक के भरोसे बैठे रहोगे तो सफलता नहीं मिलेगी !
Think about it.....share ur insights.
सो सुस्त रहना नैसर्गिक, प्राकृतिक और स्वाभाविक है.....
अगर स्वाभाविक और प्राकृतिक के भरोसे बैठे रहोगे तो सफलता नहीं मिलेगी !
Think about it.....share ur insights.
Harry
Happy जन्माष्ठमी !
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Yogesh is what my parents named, and Harry is my moniker.
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की मंज़िल इनको यक़ीनन मिलेगी
बंद पर वालों को क्या मंज़िल खाक मिलेगी !
Wednesday, August 13, 2014
गारंटी है की आप इस ब्लॉग से दो बातें सीख कर अवश्य जायेंगे, एक तो आवृत्ति (फ्रीक्वेंसी) और दूसरा तथास्तु !
अलग अलग भाषाएँ
हैं लेकिन भगवान
एक है !
भगवान इतने द्विभाषिए
कहाँ से लाएगा
सभी की पूजा
समझने के लिए
!
उसने एक प्राकृतिक
इशारा बना लिया
है, तथास्तु !
जैसे, हे ईश्वर
- दो वक्त की
रोटी का जुगाड़
कर दे - तथास्तु
!!!
हे मौला - एक कमरे
का मकान दिला
दे - तथास्तु !!!
हे क्राइस्ट - एक रेड़ी
लगवा दे - तथास्तु
!!!
हे भगवन - इस दिवाली
पे सभी को
कपड़े दिलवा दे
- तथास्तु !!!
हम चाहे या
न चाहें, प्राकृतिक
रूप से चीज़ें
हमारे इर्द-गिर्द
मौजूद हैं !
जैसे आपको गाने
सुनने का मन
कर रहा है....आप रेडियो
अफ्म् लगा लें
!
एक फ्रीक्वेंसी पे आप
ने लगाया तो
रफ़ी के दर्द
भरे नग्मे चल
रहे थे ! आपने
सोचा के मुझे
कुछ रोमांटिक सुनना
है, आपने फ्रीक्वेंसी
बदल दी और
किशोर के मदमस्त
गाने सुनने लगे!
इसका मतलब रफ़ी
के गाने बंद
तो नहीं हो
गए, वो भी
चल रहे हैं,
लेकिन आप ने
अपनी फ्रीक्वेंसी बदल
ली ! ठीक इसी
प्रकार सफल व्यक्ति
एक अलग फ्रीक्वेंसी
पे काम करता
है .....!
कभी आपने किसी
मर्सेडिस पे
लिखा हुआ देखा
है - बुरी नज़र
वाले तेरा मुँह
कला ......
अक्सर ऑटो पे,
ट्रक पे, टेम्पो
पे, रिक्क्षे पे,
बस पे लिखा होता
है.......
अपने दिल पे
हाथ रख कर
बताइये , कभी आपके
दिल में सवाल
उठा है....
की काश
ये रिक्शा मेरा होता.....
हमको नज़र ही
लगानी है
तो मर्सेडिस को न
लगाएं ?
तेरा रिक्शा ही रह
गया है नज़र
लगाने को, और
जूती टांग कर
घूम रहा है
!
अब ये रिक्शा
वाला सोचता ही
है इस फ्रीक्वेंसी
पे, की भगवान
को तथास्तु कहना
ही पड़ता है
१
एक गरीब व्यक्ति
है अम्बानी - आपने नाम तो सुना
ही होगा
२७ मंज़िल का माकन,
कुछ १००० करोड़
से ऊपर की
मिल्कियत है
!
अक्सर एक गरीब
के झोंपड़े पे
हांडी लटक रही
होती है, ऑटो
पे निम्बू और
मिर्ची लटक रही
होती है !
नज़र ही लगाना है
तो अम्बानी के
घर को, क्यों
नहीं ?
तो याद रहे
जो जैसा सोंचता
है, उस फ्रीक्वेंसी
पे काम करता
है और भगवान
उसको 'तथास्तु' बोलता
है !
अब अगर आप
पूजा का चंदा मांगने
अम्बानी जी के
यहाँ पंहुचे, और
कहा, पूजा के
लिए ५१ रूपए
की पर्ची फड़वा
लीजिये........तो सोचिये
क्या होगा !
आप किस फ्रीक्वेंसी
पे काम कर
रहे हैं और
भगवन क्या करेगा
!
तो आज के
बाद दो बातों
का ध्यान रक्खें
आवृत्ति
(Frequency ) और तथास्तु का
हमेशा अपनी आवृत्ति
(Frequency) सफल व्यक्तिओं के स्तर
पर रक्खें !
और भगवान या इस
श्रिष्टि से कुछ
मांगना ही है
तो, बड़ा मांगे
!
जय हो, मंगलमय हो !
ब्लॉग कैसा लगा,
टिप्पणी जरूर दें
!
मैं समझता हूँ, इस
ब्लॉग से हिंदी
के पाठकों को
काफी सहायता मिलेगी
!
आपके विचारों का आमंत्रण
है ! - हैरी
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Tuesday, August 12, 2014
नामुमकिन - मुमकिन कैसे ?......कुछ भी हो सकता है !
आप बाजार से गुजर रहे हैं, सब जगह फ़ोन बूथ लगे हैं.....और उनपे लिखा है "फ्री फ़ोन / FREE PHONE"
क्या ये मुमकिन है ? विश्वास नहीं हो रहा !
स्वाभाविक प्रतिक्रिया : नह, ये तो नामुमकिन है !
आपने फ़ोन किया: उधर से आवाज आई : यह कॉल कोलगेट और निर्मा द्वारा प्रायोजित है ! हर १५ सेकंड में ५ सेकंड का विज्ञापन आएगा, कृपया आपने, जिनको फ़ोन लगाया है, उन्हें भी सूचित कर दें !
विज्ञापन अवधि : ५ सेकंड
सफेद चमकीले दांतों के लिए, कोलगेट दन्त मंजन का इस्तेमाल करें.........और सफेद चमकदार कपड़ों के लिए निर्मा वाशिंग पाउडर !
१५० ग्राम कोलगेट / ५०० ग्राम निर्मा खरीदने पर ५ मिनट का talktime फ्री
३०० ग्राम कोलगेट / १ किलो निर्मा खरीदने पर १० मिनट का talktime फ्री
आप भी freephone के लिए, इतना तो adjust कर ही सकते हैं !
शुरू में नामुमकिन दिखने वाला कार्य अब मुमकिन लग रहा है ! अगर 'हाँ' तो 'कुछ भी हो सकता है' ! तो आइये हम प्रण करें की अपनी वाक्पटुता और बुद्धिमत्ता से हर कार्य को सरल बना दें !
ब्लॉग पढ़ने वालों को हैरी का नमस्कार ! मैंने हिंदी में लिखने की कोशिश की है, निश्चित रूप से कई त्रुटियाँ भी होंगी, कृपया छमा करें ! आप भी अगर कोई सुझाव देना चाहें तो आपका आमंत्रण है ! मैं समझता हूँ की हिंदी ब्लॉग पढ़ने वालों के लिए, यह एक आसान सफर रहेगा !
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बंद पर वालों को क्या मंज़िल खाक मिलेगी !
Monday, August 11, 2014
जिंदगी बदलो ३० दिनों में....:)
वैज्ञानकीओं ने सुझाव दिया है - लोग अपनी इच्छा शक्ति से लगभग ३० दिनों में कोई भी आदत बदल सकते हैं ! जैसे किसी भी नई चीज़ में माहिर होने के लिए
पहला कदम है, उसको शुरू करना,
दूसरा उस दूरी को तय करना,
जबतक आप पसंद करने वाली स्तिथि में न पहुँच जाएँ ! और इस स्तिथि में पहुंचना मतलब, आपने ८० % लड़ाई जीत ली है ! इसीलिए महत्वपूर्ण है की अगले ३० दिनों तक छोटे छोटे सकारात्मक बदलाव करते रहें !
पुरानी कहावत है, आप हाथी कैसे खाएंगे ! उत्तर है, एक समय में एक ही बार काटेंगे ! यही तत्वज्ञान हमारी जिंदगी में भी लागू पड़ता है ! जरुरत से ज्यादा काटने पर गला घुंटने के स्तिथि पैदा हो सकती है !
इसलिए हम अगले ३० दिनों में छोटे छोटे बदलाव करेंगे, ताकि हम उन छोटे बदलावों को सहझता से अपनी जिंदगी का हिस्सा बना सकें !
१) उन शब्दों का इश्तेमाल जो खुशिओं को प्रोत्साहित करते हैं !
आपने सुना होगा - आप कैसे हैं का जवाब "मैं अच्छा हूँ" या फिर "ठीक हूँ" ! एक पुराने दोस्त से जब मिला तो उसने कुछ इस प्रकार उत्तर दिया - मैं शानदार हूँ और उसने कहा मैं स्वस्थ हूँ , मेरा परिवार भी स्वस्थ है और मैं एक आज़ाद देश में रहता हूँ, सो मेरे पास कोई ऐसा कारण नहीं है की मैं प्रसन्न न रहूँ ! मुझे नहीं लगता, की वो हमसे जरा भी बेहतर स्तिथि में होगा, लेकिन उसका सकारात्मक रवैया और सही शब्दों के चुनाव से, वो हमसे २० गुना ज्यादा खुश नज़र आ रहा है ! अगले ३० दिन आप सही शब्दों का चुनाव और उपयोग करें जिससे आपकी खुशिओं में वृद्धि होती है !
२) कोशिश करें रोज़ एक नई चीज़ करने की
नयी चीज़ें आपकी जिंदगी में गहरी छाप छोड़ देते हैं ! विविधता आपकी जिंदगी का मसाला है !
उधारण - किसी अपरिचित से मुलाकात ! एक बार आपको नई चीज़ करने की आदत लग गयी, तो आपके लिए अवसरों के द्वार चारों दिशाओं से खुल जायेंगे !
३) एक नि:स्वार्थ कार्य रोज़ करें !
४) रोज़ एक नया कौशल शीखें और अभ्यास करें!
५) रोज़ कुछ न कुछ दूसरों को पढ़ाएं !
६) रोज़ एक घंटा आप अपनी चाहत की चीज़ों में समर्पित करें !
७) सभी से प्रेम से पेश आएं, उनके साथ भी जो अभद्र व्यव्हार करते हैं !
८) ध्यान रहे की हर समय आप सकारात्मक रहें !
९) जब भी ठोकरें लगें, समझ लीजिये कुछ अच्छा इंतज़ार कर रहा है !
१०) हर एक छन पे पूरा ध्यान दीजिये और आनंद लीजिये !
याद रखिये, अभी और ये वक्त ही वो छन है, जिसकी की गारंटी है ! ये समय ही जिंदगी है ! अगले ३० दिन आप हर पल में जियें ! क्यों की यही सत्य है !
११ ) एक दिन में एक बोझ कम करें अगले ३० दिनों तक !
ये सबसे महत्पूर्ण है, दिमाग में काफी चीज़ें बेमतलब की जमा हो जाती हैं और इसकेकारण आप असंतुलित और अव्यवस्थ हो जाते हैं ! आपकी कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है , रिश्तों मेंतनाव आ जाते हैं, आपकी खुशियां खो जाती हैं आप बात बात पर परेशान हो जाते हैं ! अगर आप रोज़ बोझ कम करने लगे तो आपका दिमाग आपको धन्यवाद देगा !
१२ ) कुछ नया निर्माण करो, सृजन करो, उत्पन्न करो अगले ३० दिनों में !
इसके जैसा कोई कार्य नहीं है न ही इसका कोई विकल्प है !
१३ ) अगले ३० दिनों के लिए झूट का सहारा न लें !
१४ ) रोज़ ३० मिनट जल्दी उठें !
इससे आपको कोई काम जल्दबाज़ी में नहीं करना पड़ेगा,जैसे टिकट्स लेना, ट्रेन पकड़ना, ट्रैफिक में इंतज़ार और आप सिरदर्द से बचे रहेंगे !
१५ ) ३ ख़राब आदतें गड्ढे में डाल दें अगले ३० दिनों में !
जैसे जल्दी में खाना, वीडियो गेम खेलना, परिवार में बहस करना इत्यादि !
१६ ) रोज़ ३० मिनट्स टीवी कम देखें ! अपना मनोरंजन असल जिंदगी के अनुभवों से करें !
१७ ) एक बड़ा लक्ष्य बनायें और उस पर हर रोज़ एक घंटा काम करें !
१८ ) हर रोज़ एक अच्छी किताब का एक अध्याय जरूर पढ़ें !
१९ ) हर सुबह आप वह पढ़ें या देखें जो आपको प्रेरित करता है !
२० ) रोज़ दोपर को खाना खाने के बाद कुछ ऐसा करें, जो आपको हंसाता है !
२१ ) नशे का सेवन न करें अगले ३० दिनों के लिए !
२२ ) अगले ३० दिनों तक रोज़ ३० मिनट व्यायाम करें !
२३) रोज़ असहज काम करें और डर का सामना करें !
२४ ) एक नया एवं स्वस्थ व्यंजन रोज़ बनाएं !
२५ ) रोज़ १० मिनट मुल्यांकन करें की आज क्या अच्छा हुआ !
२६ ) हर एक दिन ऐसे व्यक्ति से बात करें, जिनसे आप बिरले ही बात करते हैं !
२७ ) पुराने उधार को चुकाएं और नया ऋण न लें !
२८ ) उस रिश्ते को जाने दें, जो लगातार दर्द दे रहा है !
२९ ) सार्वजनिक रूप से उसे छमा कर दें जिसे दूसरा मौका मिलना चाहिए !
३० ) हर एक दिन की तस्वीर लें और उसपे अनुच्छेद लिखें !
ब्लॉग पढ़ने वालों को हैरी का नमस्कार ! मैंने हिंदी में लिखने की कोशिश की है, निश्चित रूप से कई त्रुटियाँ भी होंगी, कृपया छमा करें ! आप भी अगर कोई सुझाव देना चाहें तो आपका आमंत्रण है !
I’m a crazy, independent, actor-director-producer of My own little world. With so much to do, I’m running out of time.
Yogesh is what my parents named, and Harry is my moniker.
परिंदों के खुले हुए पर बोलते हैं
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बंद पर वालों को क्या मंज़िल खाक मिलेगी !
Wednesday, August 6, 2014
बहाने जो लोगों को तरक्की नहीं करने देते
1. लोग क्या कहेंगे
2. मेरे पास पैसे तो है ही नहीं
3. कोई साथ ही नहीं देता
4. मेरे विचारों को कोई समझता ही नहीं
5. अब तो बहुत देर हो गयी है
6. मैंने अभी पूरी निपुणता हाशिल नहीं की है
7. पहले अनुमोदन (Approval) चाहिए
8. मेरी कोई आलोचना न करे
9. जिंदगी मेरे साथ अन्याय कर रही है
10. मेरे पास बहुत कुछ है जो मैं खो दूंगा
11. इस विचार में कोई दम नहीं है
12. बहुत मुश्किल है
13. मेरा तो मुक्कद्दर ही ख़राब है
14. गए वक्त की मुशीबतें बहुत ज्यादा है
15. अब तो शरीर भी साथ नहीं देता
16. शुरू से ही गड़बड़ है
17. मेरे नियंत्रण के बहार है
18. आज की स्तिथि में नामुमकिन है
19. अभी अपने आप को नई चीज़ में बंधना नहीं चाहता
20. परिवार में ही सारा समय निकल जाता है
21. जिंदगी ठीक ही चल रही है
22. पहले ही बहुत कुछ खो चूका हूँ
23. जिंदगी की शुरुआत में ही कर लिया होता
24. करने कुछ जाता हूँ, हो कुछ जाता है
25. दिमाग ही काम नहीं करताAbove article is just written for my blog. Best Harry
2. मेरे पास पैसे तो है ही नहीं
3. कोई साथ ही नहीं देता
4. मेरे विचारों को कोई समझता ही नहीं
5. अब तो बहुत देर हो गयी है
6. मैंने अभी पूरी निपुणता हाशिल नहीं की है
7. पहले अनुमोदन (Approval) चाहिए
8. मेरी कोई आलोचना न करे
9. जिंदगी मेरे साथ अन्याय कर रही है
10. मेरे पास बहुत कुछ है जो मैं खो दूंगा
11. इस विचार में कोई दम नहीं है
12. बहुत मुश्किल है
13. मेरा तो मुक्कद्दर ही ख़राब है
14. गए वक्त की मुशीबतें बहुत ज्यादा है
15. अब तो शरीर भी साथ नहीं देता
16. शुरू से ही गड़बड़ है
17. मेरे नियंत्रण के बहार है
18. आज की स्तिथि में नामुमकिन है
19. अभी अपने आप को नई चीज़ में बंधना नहीं चाहता
20. परिवार में ही सारा समय निकल जाता है
21. जिंदगी ठीक ही चल रही है
22. पहले ही बहुत कुछ खो चूका हूँ
23. जिंदगी की शुरुआत में ही कर लिया होता
24. करने कुछ जाता हूँ, हो कुछ जाता है
25. दिमाग ही काम नहीं करताAbove article is just written for my blog. Best Harry
I’m a crazy, independent, actor-director-producer of My own little world. With so much to do, I’m running out of time.
Yogesh is what my parents named, and Harry is my moniker.
परिंदों के खुले हुए पर बोलते हैं
की मंज़िल इनको यक़ीनन मिलेगी
बंद पर वालों को क्या मंज़िल खाक मिलेगी !
सच्चाइयाँ जो हम बहुत जल्दी भूल जाते हैं
1. हमारी औसतन जिंदगी छोटी है
2. आप वही जिंदगी जिएंगे , जिसका की आप खुद निर्माण करेंगे
3. व्यस्त रहने का मतलब, विकास नहीं है
4. विफलताओं का सामना करना पड़ता है सफलता से पहले
5. सोचना और करना दोनों भिन्न बातें हैं
6. माफ़ करने के लिए, किसी के माफ़ करने का इंतज़ार न करें
7. कुछ लोग वाकई में आपके लिए एक गलत मेल होते हैं
8. आपको प्यार करना किसी और की जिम्मेवारी नहीं, सिर्फ आपकी है
9. आप कौन हो, उसपे आपका स्वामित्व नहीं है
10. हर पल हर चीज़ बदलती रहती है
2. आप वही जिंदगी जिएंगे , जिसका की आप खुद निर्माण करेंगे
3. व्यस्त रहने का मतलब, विकास नहीं है
4. विफलताओं का सामना करना पड़ता है सफलता से पहले
5. सोचना और करना दोनों भिन्न बातें हैं
6. माफ़ करने के लिए, किसी के माफ़ करने का इंतज़ार न करें
7. कुछ लोग वाकई में आपके लिए एक गलत मेल होते हैं
8. आपको प्यार करना किसी और की जिम्मेवारी नहीं, सिर्फ आपकी है
9. आप कौन हो, उसपे आपका स्वामित्व नहीं है
10. हर पल हर चीज़ बदलती रहती है
I’m a crazy, independent, actor-director-producer of My own little world. With so much to do, I’m running out of time.
Yogesh is what my parents named, and Harry is my moniker.
परिंदों के खुले हुए पर बोलते हैं
की मंज़िल इनको यक़ीनन मिलेगी
बंद पर वालों को क्या मंज़िल खाक मिलेगी !
Sunday, August 3, 2014
सच्चाईयां जो आपको जिंदगी जीने में मदद करेंगी
1. पहला कदम कभी आसान नहीं होता !
2. अच्छी चीज़ें बहुत मुश्किल से मिलती हैं !
3. आप अपनी जिंदगी में सिर्फ एक ही चीज़ पे नियंत्रण कर सकते हैं - की आप किस प्रकार की प्रतिक्रिया देना चाहेंगे !
4. आप जोखिम से नहीं बच सकते , जिंदगी को जोखिम में डाले बगैर !
5. आपकी सबसे बड़ी परेशानी आप के दिमाग में होती है !
6. जिंदगी के लिए खुशियां खरीदी नहीं जा सकतीं बल्कि कमानी पड़ती हैं !
7. हर कोई आपकी सहायता नहीं करेगा !
8. आपकी जिंदगी कुछ लोगों के बगैर बेहतर है, जिन्हे आप प्यार करते हो !
9. खुशियां पाना है तो थोड़ा गम तो उठाना ही पड़ेगा !
10. जो हो गया सो हो गया, जिंदगी बस चलती रहती है.....!
Friendship day के उपलक्ष्य में रिसर्च कर के लिखी गयीं हैं ! रोज़ इनका अस्मरण करेंगे तो काफी मुश्किलों से निजात पा जायेंगे ! आपका आनेवाला वक्त मंगलमय हो, ऐसी मेरी शुभकामना है !
2. अच्छी चीज़ें बहुत मुश्किल से मिलती हैं !
3. आप अपनी जिंदगी में सिर्फ एक ही चीज़ पे नियंत्रण कर सकते हैं - की आप किस प्रकार की प्रतिक्रिया देना चाहेंगे !
4. आप जोखिम से नहीं बच सकते , जिंदगी को जोखिम में डाले बगैर !
5. आपकी सबसे बड़ी परेशानी आप के दिमाग में होती है !
6. जिंदगी के लिए खुशियां खरीदी नहीं जा सकतीं बल्कि कमानी पड़ती हैं !
7. हर कोई आपकी सहायता नहीं करेगा !
8. आपकी जिंदगी कुछ लोगों के बगैर बेहतर है, जिन्हे आप प्यार करते हो !
9. खुशियां पाना है तो थोड़ा गम तो उठाना ही पड़ेगा !
10. जो हो गया सो हो गया, जिंदगी बस चलती रहती है.....!
Friendship day के उपलक्ष्य में रिसर्च कर के लिखी गयीं हैं ! रोज़ इनका अस्मरण करेंगे तो काफी मुश्किलों से निजात पा जायेंगे ! आपका आनेवाला वक्त मंगलमय हो, ऐसी मेरी शुभकामना है !
I’m a crazy, independent, actor-director-producer of My own little world. With so much to do, I’m running out of time.
Yogesh is what my parents named, and Harry is my moniker.
परिंदों के खुले हुए पर बोलते हैं
की मंज़िल इनको यक़ीनन मिलेगी
बंद पर वालों को क्या मंज़िल खाक मिलेगी !
Friday, July 11, 2014
Youtube Link to one of my sessions.
I’m a crazy, independent, actor-director-producer of My own little world. With so much to do, I’m running out of time.
Yogesh is what my parents named, and Harry is my moniker.
परिंदों के खुले हुए पर बोलते हैं
की मंज़िल इनको यक़ीनन मिलेगी
बंद पर वालों को क्या मंज़िल खाक मिलेगी !
Tuesday, January 21, 2014
चलो ख्वाबों में एक ख्वाब देखें...
चलो ख्वाबों में एक ख्वाब देखें,
क्या ख्वाब एक, ख्वाब दो के अंदर है ,
या दूसरा, तीसरे के अंदर है,
क्या कोई चौथा ख्वाब, कहीं जनम ले रहा है,
मैंने अनगिनत ख्वाब देखे है, ख्वाबों के एक बगीचे में,
हर एक ख्वाब में असीम सकती होती हैं , नए ख्वाबों को जनम ने में,
अधूरा ख्वाब, सुलगता ख्वाब, उबलता ख्वाब , ख्वाब ही ख्वाब,
क्या यह हमारे ख्वाबों से परे है, या ख्वाबों में हकीकत से परे है,
क्यूँ ख्वाब रुलाती है हमें , बिना बात के हसाती है हमें,
निरंतर तड़पाती है हमें, सोई रातों से जगाती है हमें,
हाय रे ख्वाब , वाह रे ख्वाब, ख्वाब ही ख्वाब !
By Harry
क्या ख्वाब एक, ख्वाब दो के अंदर है ,
या दूसरा, तीसरे के अंदर है,
क्या कोई चौथा ख्वाब, कहीं जनम ले रहा है,
मैंने अनगिनत ख्वाब देखे है, ख्वाबों के एक बगीचे में,
हर एक ख्वाब में असीम सकती होती हैं , नए ख्वाबों को जनम ने में,
अधूरा ख्वाब, सुलगता ख्वाब, उबलता ख्वाब , ख्वाब ही ख्वाब,
क्या यह हमारे ख्वाबों से परे है, या ख्वाबों में हकीकत से परे है,
क्यूँ ख्वाब रुलाती है हमें , बिना बात के हसाती है हमें,
निरंतर तड़पाती है हमें, सोई रातों से जगाती है हमें,
हाय रे ख्वाब , वाह रे ख्वाब, ख्वाब ही ख्वाब !
By Harry
Source : Written by Harry
Well to begin with, it started off being a wanderer. Originally an artist, wanting to do things in a scientific way. Normal to any growing up age, adventure, challenges, competition, decorated dresses, also couldn’t miss my attention. But as they say, forces lost the opportunity of my charm. Public schooling had already set in me the love for science, history & fabrics. Which are poles apart. Science took me to drug delivery systems and its pharmacokinestatics. But the friends & environment forced me towards business. I’ve been through many accidents, one of which landed me into education technologist job. Reason for being a child researcher. I’ve spent most of my service life working in that strange space where passion was never my profession. I’m passionate about the things that interest me like, what is the strength of an ant, why butterflies have different shades and colors, who am I, why somebody likes.......and plethora of other questions, which need my attention. I read voraciously and collect books as well, but only in specific genres. I’m passionate about my profession(s), both planned and accidental, Which is partly why I’m chairman of “The School Of Everything.”
'विद्या'
'विद्या'
परदे में है चाहत , पूरा छुपता भी नहीं, साफ़ दीखता भी नहीं,
या तोह पर्दा हटा ले, या फिर चेहरा ही दिखा दे,
चाहते दीदार करा दे, वर्ना चाहत को ही मिटा दे,
मिट के हम कण कण में बिखर जायेंगे,
इस समस्त संसार को तेरा दीवाना बना जायेंगे,
दीवानगी तोह बहुत देखि होगी तूने,
तेरी महमिल में दीवानों का कारवां लगा जायेंगे,
हम गीली लकड़ी ही सही, पर ऐय 'विद्या',
लाखों के दिलों में, तेरे लिए, ज्ञान की ज्योत जला जायेंगे !
By Harry
परदे में है चाहत , पूरा छुपता भी नहीं, साफ़ दीखता भी नहीं,
या तोह पर्दा हटा ले, या फिर चेहरा ही दिखा दे,
चाहते दीदार करा दे, वर्ना चाहत को ही मिटा दे,
मिट के हम कण कण में बिखर जायेंगे,
इस समस्त संसार को तेरा दीवाना बना जायेंगे,
दीवानगी तोह बहुत देखि होगी तूने,
तेरी महमिल में दीवानों का कारवां लगा जायेंगे,
हम गीली लकड़ी ही सही, पर ऐय 'विद्या',
लाखों के दिलों में, तेरे लिए, ज्ञान की ज्योत जला जायेंगे !
By Harry
Source : written by harry
Well to begin with, it started off being a wanderer. Originally an artist, wanting to do things in a scientific way. Normal to any growing up age, adventure, challenges, competition, decorated dresses, also couldn’t miss my attention. But as they say, forces lost the opportunity of my charm. Public schooling had already set in me the love for science, history & fabrics. Which are poles apart. Science took me to drug delivery systems and its pharmacokinestatics. But the friends & environment forced me towards business. I’ve been through many accidents, one of which landed me into education technologist job. Reason for being a child researcher. I’ve spent most of my service life working in that strange space where passion was never my profession. I’m passionate about the things that interest me like, what is the strength of an ant, why butterflies have different shades and colors, who am I, why somebody likes.......and plethora of other questions, which need my attention. I read voraciously and collect books as well, but only in specific genres. I’m passionate about my profession(s), both planned and accidental, Which is partly why I’m chairman of “The School Of Everything.”
एक तो वक्त कम है...
एक तो वक्त कम है, दूसरे जेब भी तंग है,
इंसानियत परेशां है, फिर भी दीखता दबंग है,
दीवाने मलंग है, सर्कार अपंग है और विरोधी तंग है,
फिर भी सबके बीच में ये कैसी सत्संग है,
९५ प्रतिसत जनता, सोई हुई अंग है,
इसीलिए तो ५ प्रतिसत लोग शाशन में रंगारंग है,
मोहे रंग दे, ऐसा सभी का ढंग है,
फिर भी दीखता, कटी पतंग है,
कविता पढ़नेवाला दंग है और कवी कि लेखनी में व्यंग है !
हैरी द्वारा प्रस्तुत !
९.३० PM तारीख २१ जनुअरी २०१४
इंसानियत परेशां है, फिर भी दीखता दबंग है,
दीवाने मलंग है, सर्कार अपंग है और विरोधी तंग है,
फिर भी सबके बीच में ये कैसी सत्संग है,
९५ प्रतिसत जनता, सोई हुई अंग है,
इसीलिए तो ५ प्रतिसत लोग शाशन में रंगारंग है,
मोहे रंग दे, ऐसा सभी का ढंग है,
फिर भी दीखता, कटी पतंग है,
कविता पढ़नेवाला दंग है और कवी कि लेखनी में व्यंग है !
हैरी द्वारा प्रस्तुत !
९.३० PM तारीख २१ जनुअरी २०१४
Well to begin with, it started off being a wanderer. Originally an artist, wanting to do things in a scientific way. Normal to any growing up age, adventure, challenges, competition, decorated dresses, also couldn’t miss my attention. But as they say, forces lost the opportunity of my charm. Public schooling had already set in me the love for science, history & fabrics. Which are poles apart. Science took me to drug delivery systems and its pharmacokinestatics. But the friends & environment forced me towards business. I’ve been through many accidents, one of which landed me into education technologist job. Reason for being a child researcher. I’ve spent most of my service life working in that strange space where passion was never my profession. I’m passionate about the things that interest me like, what is the strength of an ant, why butterflies have different shades and colors, who am I, why somebody likes.......and plethora of other questions, which need my attention. I read voraciously and collect books as well, but only in specific genres. I’m passionate about my profession(s), both planned and accidental, Which is partly why I’m chairman of “The School Of Everything.”
Friday, August 9, 2013
Do animals laugh / smile?
Visible
difference between animals & human beings is that, former cannot
laugh / smile. Have you ever seen donkey's smile. Imagine one smiling,
than what is it up to? That means its upgrading to be a human. On the
other hand if, a human is clueless, tired, gloomy that means he is
downgrading to be a .........So use your asset, let the world not confuse
you with..........one smile can change the moment, day or life.
Well to begin with, it started off being a wanderer. Originally an artist, wanting to do things in a scientific way. Normal to any growing up age, adventure, challenges, competition, decorated dresses, also couldn’t miss my attention. But as they say, forces lost the opportunity of my charm. Public schooling had already set in me the love for science, history & fabrics. Which are poles apart. Science took me to drug delivery systems and its pharmacokinestatics. But the friends & environment forced me towards business. I’ve been through many accidents, one of which landed me into education technologist job. Reason for being a child researcher. I’ve spent most of my service life working in that strange space where passion was never my profession. I’m passionate about the things that interest me like, what is the strength of an ant, why butterflies have different shades and colors, who am I, why somebody likes.......and plethora of other questions, which need my attention. I read voraciously and collect books as well, but only in specific genres. I’m passionate about my profession(s), both planned and accidental, Which is partly why I’m chairman of “The School Of Everything.”
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