Tuesday, January 21, 2014

चलो ख्वाबों में एक ख्वाब देखें...

चलो ख्वाबों में एक ख्वाब देखें,
क्या ख्वाब एक, ख्वाब दो के अंदर है ,
या दूसरा, तीसरे के अंदर है,
क्या कोई चौथा ख्वाब, कहीं जनम ले रहा है,
मैंने अनगिनत ख्वाब देखे है, ख्वाबों के एक बगीचे में,
हर एक ख्वाब में असीम सकती होती हैं , नए ख्वाबों को जनम ने में,
अधूरा ख्वाब, सुलगता ख्वाब, उबलता ख्वाब , ख्वाब ही ख्वाब,
क्या यह हमारे ख्वाबों से परे है, या ख्वाबों में हकीकत से परे है,
क्यूँ ख्वाब रुलाती है हमें , बिना बात के हसाती है हमें,
निरंतर तड़पाती है हमें, सोई रातों से जगाती है हमें,
हाय रे ख्वाब , वाह रे ख्वाब, ख्वाब ही ख्वाब !


By Harry
Source : Written by Harry

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